सच्चे तीर्थ जान, करो सब मन से सेवा। सच्चे तीर्थ जान, करो सब मन से सेवा।
माता-पिता की सेवा करो भगवान इनमें बसते सदा। माता-पिता की सेवा करो भगवान इनमें बसते सदा।
माता-पिता की सेवा में ये तो पाया गया अब ये ख़ज़ाना हमारा हो गया। माता-पिता की सेवा में ये तो पाया गया अब ये ख़ज़ाना हमारा हो गया।
स्वर्ग,धर्म और तपस्यापिता के रुप हैं।तीर्थ, मोक्ष और ईश्वरमाता स्वरुप हैं। स्वर्ग,धर्म और तपस्यापिता के रुप हैं।तीर्थ, मोक्ष और ईश्वरमाता स्वरुप हैं।
खेलूंगी होली उस खातिर था जो मेरे मन का शृंगार। खेलूंगी होली उस खातिर था जो मेरे मन का शृंगार।
आप के पदचिन्हों पर चलकर, बढ़ते जायें पग-पग चलकर। शिशु अबोध थे हम अज्ञानी, आज बने भाभा वि... आप के पदचिन्हों पर चलकर, बढ़ते जायें पग-पग चलकर। शिशु अबोध थे हम अज्ञान...